विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में ब्लड कैंसर के मरीज़ों को उपयुक्त स्टेम सेल डोनर की तलाश के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने और तुरंत उनकी सहायता करने की जरूरत है
14 सितंबर, 2023, मुंबई: हर साल सितंबर महीने के तीसरे शनिवार को वर्ल्ड मैरो डोनर डे मनाया जाता है, और इस अवसर से पहले DKMS BMST फाउंडेशन इंडिया द्वारा कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, भारत में ब्लड कैंसर का इलाज कराने वाले मरीजों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उपयुक्त स्टेम सेल डोनर की कमी एक बड़ी समस्या है, और कई लोगों की जान दांव पर होने के कारण जरूरतमंद लोगों के लिए ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही इलाज के सबसे कारगर तरीके के रूप में उभरकर सामने आया है। इस कार्यक्रम के दौरान, डीकेएमएस-बीएमएसटी ने समर्थ, प्रांजल और शशांक नाम के स्टेम सेल डोनर्स को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई, जिन्होंने हाल ही में अपने ब्लड स्टेम सेल का दान करके जीवनरक्षक बनने का गौरव हासिल किया है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया में ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों, या थैलेसीमिया, एप्लास्टिक या सिकल सेल एनीमिया जैसे खून से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे लोगों के इलाज के लिए एक सेहतमंद डोनर से स्टेम सेल्स का ट्रांसफ़्यूज़न कराया जाता है।
भारत में, स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन के माध्यम से इलाज की जरूरत वाले ब्लड कैंसर के मरीज़ों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इलाज की इस विधि में मरीज़ों की जान बचाने की असीमित संभावनाएं हैं, इसके बावजूद HLA (टिश्यू का एक प्रकार) से मेल खाने वाले डोनर्स की कमी की वजह से हालात काफी गंभीर हो जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि मरीज़ों को समय को मात देते हुए, बीमारी की चपेट में आने से पहले तक एक मैचिंग डोनर की तलाश के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए, भारत में ब्लड सेल ट्रांसप्लांटेशन के बारे में जागरूकता फैलाने और ऐसे मरीज़ों की मदद के लिए आम लोगों के साथ-साथ चिकित्सा समुदाय को आगे आने की जरूरत है।
डॉ. शांतनु सेन, कन्सल्टेंट, पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, ऑन्कोलॉजी एवं स्टेम सेल प्रत्यारोपण, कोकिलाबेन हॉस्पिटल, मुंबई, ने कहा, “भारत में हर 5 मिनट में किसी एक व्यक्ति में ब्लड कैंसर अथवा थैलेसीमिया या एप्लास्टिक एनीमिया जैसी खून से संबंधित अन्य बीमारियों की मौजूदगी का पता चलता है। इस तरह के ज़्यादातर मरीजों की जान बचाने के लिए ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की सफलता के लिए ऐसे डोनर की आवश्यकता होती है, जिसका HLA (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) मरीज से मेल खाता हो। हालाँकि, केवल कुछ ही मरीज़ों को अपने परिवार के भीतर ऐसा डोनर मिलता है जिनका HLA उनसे मेल खाता हो। इसलिए लगभग 70-80% मामलों में मरीज़ों को मेल खाने वाले 'असंबंधित' डोनर की तलाश करनी पड़ती है।